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DHADKANE MERI SUN

Dr. Rajnish Kaushik

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Månedlig
 
Self composed various aspects of love, various feelings, sensations and colors of love with enchanting and melodious words of Hindi and Urdu language have been presented in a very poetic manner in every episode of this podcast . All the episodes of this podcast are solemnly dedicated to all the lovers just as the cycle of love never ends in the same way these love lyrics episode will move on, move on and move on...
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बालमोदिनी

सम्भाषणसन्देशः

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Daglig
 
सम्भाषणसन्देशः इति संस्कृतमासिकपत्रिका (https://sambhashanasandesha.in) । एतस्यां पत्रिकायां प्रकाशिताः लेखाः, कथाः, बालकथाः, वार्ताः इत्यादिकं सर्वम् अपि सरलसंस्कृतेन एव प्रकाश्यते । तत्रत्याः “बालमोदिनी”नामिकाः बालकथाः अत्र प्रसार्यन्ते । अतः अस्याः शृङ्खलायाः नाम अपि “बालमोदिनी” एव । लघु गात्रं, सरला भाषा च कथानां विशेषः । प्रत्येकं कथा काञ्चित् नीतिं बोधयति । बालकथाः आबालवृद्धं सर्वेषां प्रियाः । संस्कृतेन ताः श्रोतुम् उपलब्धाः भवन्तु इति एषः प्रयत्नः श्रोतृभ्यः अवश्यं रोचेत इति विश्वासः ...
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==== "अंतर्दृष्टि के शब्द", "सभी के लिए अच्छी खबर", "सुसमाचार की ध्वनियाँ" - हिंदी भाषा में / "Words of Light", "Good News For All", "Sounds of Gospel" - Hindi Language ====
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यदि आप इतालवी सीखने के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं, तो आप गलत कर रहे हैं। जैसे आपने हिंदी सीखी वैसे ही इटालियन सीखें: बड़ी मात्रा में सुनकर। (कम से कम एक अस्पष्ट विचार के साथ कि इसका क्या मतलब है!) हजारों इतालवी वाक्यांश, हिंदी अनुवादों के साथ, सीधे आपके मस्तिष्क में प्रस्तुत किए जाते हैं: व्यावहारिक से दार्शनिक तक और छेड़खानी तक। केवल वाक्यांश, कोई पूरक नहीं! न केवल संवाद करने के लिए, बल्कि वास्तव में इतालवी भाषा में एक दिलचस्प व्यक्ति बनने के लिए इतालवी भाषा की बुनियादी बातों से भी ...
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यदि आप स्पैनिश सीखने के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं, तो आप गलत कर रहे हैं। स्पैनिश सीखें जैसे आपने हिंदी सीखी: इसे बड़ी मात्रा में सुनकर। (कम से कम एक अस्पष्ट विचार के साथ कि इसका क्या मतलब है!) हजारों स्पेनिश वाक्यांश, हिंदी अनुवादों के साथ, सीधे आपके मस्तिष्क में प्रस्तुत किए जाते हैं: व्यावहारिक से लेकर दार्शनिक से लेकर छेड़खानी तक। केवल वाक्यांश, कोई पूरक नहीं! न केवल संवाद करने के लिए, बल्कि वास्तव में स्पैनिश भाषा में एक दिलचस्प व्यक्ति बनने के लिए स्पैनिश भाषा की बुनियादी बातो ...
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कडक चहा !! आणि एक कथा... A Marathi Podcast of short stories and narrations (fiction and non-fiction) from sometimes well known authors & sometimes from recreational authors but read by amateur or सामान्य माणूस to keep Marathi language alive all-over world. Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/prashantsarode/support
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किस्से कहानियाँ हमारी ज़िंदगी का उतना ही अहम हिस्सा हैं, जितना शायद खाना और पीना । कहानियाँ हमें हँसाती हैं, रुलाती हैं, सिखाती हैं। वो बचपन में सुलाती हैं, बड़प्पन में रुलाती हैं। कहानियाँ हमें वहाँ ले जाती हैं, जहां हमें गाड़ी या जहाज़ भी शायद न ले जा पाएँ । तो चलिए हम भी चलते हैं दूर कहीं, कुछ कहानियों के साथ । आप का तहे दिल से स्वागत है इस पॉडकास्ट पर, जिसका नाम है ‘कहानियों का गुच्छा’। इसमें आप सुनेंगे हिन्दुस्तानी ज़बान के प्रसिद्ध लेखकों की कहानियों की कई शृंखलाओं को, जिनको चुना गया है किस ...
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Hey Guys Welcome To The DIGITAL JAYPAL SHOW, Here You Will Get Latest Blogging, SEO And Digital Marketing Tips In Hindi. Jaypal Thakor Is Founder Of "DIGITALJAYPAL.IN" A Small Hindi Blogger . In This Podcast Series Jaypal Will Share Some Blogging, WordPress, SEO, Search Engine Marketing, Internet Marketing, Social Media Marketing, Email Marketing, Email List Building, Content Marketing, Website Engagement, Conversion Optimization And Many Many More In Hindi Language.
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यदि आप जर्मन सीखने के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं, तो आप गलत कर रहे हैं। जैसे आपने हिंदी सीखी वैसे ही जर्मन सीखें: बड़ी मात्रा में सुनकर। (कम से कम एक अस्पष्ट विचार के साथ कि इसका क्या मतलब है!) हजारों जर्मन वाक्यांश, हिंदी अनुवादों के साथ, सीधे आपके मस्तिष्क में प्रस्तुत किए जाते हैं: व्यावहारिक से दार्शनिक तक और छेड़खानी तक। केवल वाक्यांश, कोई पूरक नहीं! न केवल संवाद करने के लिए, बल्कि वास्तव में जर्मन में एक दिलचस्प व्यक्ति बनने के लिए जर्मन भाषा की बुनियादी बातों से आगे बढ़ें। जर ...
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यदि आप बांग्ला सीखने के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं, तो आप गलत कर रहे हैं। बांग्ला सीखें जैसे आपने हिंदी सीखी: बड़ी मात्रा में सुनकर। (कम से कम एक अस्पष्ट विचार के साथ कि इसका क्या मतलब है!) हजारों बंगाली वाक्यांश, हिंदी अनुवादों के साथ, सीधे आपके मस्तिष्क में प्रस्तुत किए जाते हैं: व्यावहारिक से दार्शनिक तक और छेड़खानी तक। केवल वाक्यांश, कोई पूरक नहीं! न केवल संवाद करने के लिए, बल्कि वास्तव में बंगाली में एक दिलचस्प व्यक्ति बनने के लिए बंगाली भाषा की बुनियादी बातों से भी आगे बढ़ें। ...
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यदि आप फ़्रेंच सीखने के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं, तो आप ग़लत कर रहे हैं। जैसे आपने हिंदी सीखी वैसे ही फ्रेंच सीखें: बड़ी मात्रा में सुनकर। (कम से कम एक अस्पष्ट विचार के साथ कि इसका क्या मतलब है!) हजारों फ्रेंच वाक्यांश, हिंदी अनुवादों के साथ, सीधे आपके मस्तिष्क में प्रस्तुत किए जाते हैं: व्यावहारिक से दार्शनिक तक और छेड़खानी तक। केवल वाक्यांश, कोई पूरक नहीं! न केवल संवाद करने के लिए, बल्कि वास्तव में फ्रेंच भाषा में एक दिलचस्प व्यक्ति बनने के लिए फ्रेंच भाषा की बुनियादी बातों से भ ...
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यदि आप कोरियाई सीखने के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं, तो आप गलत कर रहे हैं। कोरियाई भाषा सीखें जैसे आपने हिंदी सीखी: बड़ी मात्रा में सुनकर। (कम से कम एक अस्पष्ट विचार के साथ कि इसका क्या मतलब है!) हजारों कोरियाई वाक्यांश, हिंदी अनुवादों के साथ, सीधे आपके मस्तिष्क में प्रस्तुत किए जाते हैं: व्यावहारिक से दार्शनिक तक और छेड़खानी तक। केवल वाक्यांश, कोई पूरक नहीं! न केवल संवाद करने के लिए, बल्कि वास्तव में कोरियाई भाषा में एक दिलचस्प व्यक्ति बनने के लिए कोरियाई भाषा की बुनियादी बातों से आ ...
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यदि आप अंग्रेजी सीखने के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं, तो आप गलत कर रहे हैं। अंग्रेजी सीखें जैसे आपने हिंदी सीखी: इसे बड़ी मात्रा में सुनकर। (कम से कम एक अस्पष्ट विचार के साथ कि इसका क्या मतलब है!) हजारों अंग्रेजी वाक्यांश, हिंदी अनुवादों के साथ, सीधे आपके मस्तिष्क में प्रस्तुत किए जाते हैं: व्यावहारिक से दार्शनिक तक और छेड़खानी तक। केवल वाक्यांश, कोई पूरक नहीं! न केवल संवाद करने के लिए, बल्कि वास्तव में अंग्रेजी में एक दिलचस्प व्यक्ति बनने के लिए अंग्रेजी भाषा की बुनियादी बातों से आग ...
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Din Bhar

Aaj Tak Radio

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Din Bhar is a daily news analysis podcast in Hindi language presented by Aaj Tak Radio. It covers issues ranging from Politics and international relations to health, society, cinema and sports. Did your regular prime time debate miss something that really matters to you? Close your day with Din Bhar, wherein we pick four big news stories of the day and analyse them with help of experts in a manner that is easy to understand. दिन भर के शोर के बाद शाम ढल गई है. हमारे यहां आइए. ख़बरों के सबसे अ ...
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Soul Portrait

Soul Portrait

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An Alternative | Experimental Rock Band hailing from Himachal Pradesh, India. The band Soul Portrait made its way initially with three of it's members Hitesh, Bhavtosh and Ashwani in the Autumn of 2012. After quite a few months the band felt the need of expanding it's line up which led to the addition of Anirudh, Khushal and Karan to the existing line up. The band primarily focuses on hunting for the most pleasing melodies and sounds. Technicalities have never been the priority of the band, ...
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==== भारतीय प्रचलित भाषा जिनके एक लाख से दस लाख वक्ता (३०-६०) - "खुशखबरी", "जीवन के शब्द", "इँजील गीत" ==== (कुई, गारो, त्रिपुरी (कोक बोरोक), मिजो, हल्बी, कोरकू, मिरी, मुंडारी, कार्बी, कोया, आओ नागा, सावरा, कोन्याक नागा, खड़िया, अंग्रेजी, माल्टो, न्याशी, आदि, थडौ (कुकी), लोथा, कूर्गी, राभा, तंगखुल, मैथिली, अंगामी, फोम नागा, कोलामी, कुवी, दिमासा, लद्दाखी, सुमी) ==== INDIAN POPULAR LANGUAGES THAT HAVE 100,000 TO ONE MILLION SPEAKERS(FROM No.30 TO No.60) - "GOOD NEWS","WORDS OF LIFE" ."GOSPEL S ...
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इङ्ग्लेण्ड्देशे केण्ट्नामकस्य प्रदेशस्य समुद्रतीरे महतः चण्डमारुतस्य कारणेन काचन बृहती नौका पीड्यमाना नुद्यमाना भग्नप्राया अभवत् । समुद्रतीरस्य जनसम्मर्दे केनचित् महनीयेन सह पालितः कश्चन बलशाली अप्रतिमशूरः धीरश्च शुनकः आसीत् । शुनकस्य स्वामी किञ्चित् चिन्तयित्वा नौकारक्षणाय एकम् उपायं कृत्वा शुनकं प्रेषयति । शुनकस्य साहाय्येन सर्वे नाविकाः तीरं प्र…
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काचन वृद्धा गृहस्य पार्श्वे स्थितस्य कूपस्य जलम् आनीय दैनन्दिनकार्याणि निर्वर्तयति स्म । भैरवनामा कश्चन दुष्टः वृद्धायाः‌ कूपः मदीयः इति प्रतिपादयन् तस्य उपयोगम् आरब्धवान् । खिन्नया वृद्धया राज्ञि निवेदिते कथं राजा चातुर्येण न्यायनिर्णयं करोति इति शृणुमः । तेनैव राज्ञा रणजितसिंहेन अमृतसरसि सुवर्णालयः निर्मितः । (“केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य अष…
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भूतपूर्वराष्ट्रपतिः मान्यः के आर् नारायणन्वर्यः बाल्यकाले सर्वदा शालां प्रति विलम्बेन आगच्छति स्म यतः सः प्रतिदिनं मातुः साहाय्यं कृत्वा अष्ट कि.मी. दूरतः पादाभ्यामेव आगच्छति स्म । किन्तु पठने सः अन्ये छात्राः इव एव आसीत् । एकदा विलबेन आगतवन्तं तं अध्यापकः तर्जयित्वा कक्ष्यायां प्रवेष्टुं न अनुमतवान् । बालः म्लानमुखः सन् कक्ष्यातः बहिः तिष्ठन् कक्ष…
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कश्चन मुसल्मानः रसखानः गुरुणा सह मक्कामदीनायात्रार्थं प्रस्थिते मध्यमार्गे वृन्दावनं प्राप्तवान् । यमुनानद्याम् आसन्नायां सुमधुरः वेणुध्वनिः तस्य मनः पूर्णतः अहरत् । तत्र सुन्दरः वृन्दावनाधीशः दृष्टिगोचरतां गतः । पुनः अदृश्यः जातः च । पुनर्दर्शनार्थं रसखानः दिनत्रयं निराहारं श्रीकृष्णनाम्नः जपं कृतवान् । तृतीयदिने रात्रौ भगवान् स्वयमेव आगत्य नैवेद्…
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दार्शनिकः कुमारिलभट्टः कदाचित् बौद्धदार्शनिकेन धर्मकीर्तिना पराजितः । तदा कुमारिलभट्टेन निश्चितं यत् बौद्धसिद्धान्ते तलस्पर्शि पाण्डित्यं प्राप्य एते बौद्धाः जेतव्याः इति । अग्रे सः वेदानां श्रेष्ठतां सयुक्तिकं प्रतिपाद्य बौद्धमतस्य दौर्बल्यं सप्रमाणं निरूपितवान् च । कुपिताः बौद्धाः 'यदि वेदाः प्रमाणं स्युः तर्हि पर्वतशिखरात् कूर्दनं क्रियताम्' इति…
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'उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।।' - एतत् सुभाषितं बहु प्रसिद्धम् । काष्ठविक्रेतुः देवदत्तस्य स्वकार्ये प्रवृत्तिः कथं जाता इति बोधयन्ती इयं कथा एतस्य सुभाषितस्य उदाहरणं भवितुम् अर्हति इति पश्यामः । (“केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य अष्टादशीयोजनान्तर्गततया एतासां कथानां ध्वनिप्रक्षेपणं क्रि…
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कश्चन अमेरिकीयः घण्टामात्रं कार्यं कृत्वा घण्टाद्वयस्य निमित्तं वेतनं प्राप्तुं नेच्छति । खिन्नः सः यदा मित्रं वदति तदा 'तद्विषये संस्था चिन्तयतु, शिष्टं समयं सुखेन यापयतु' इति वदति । तदा अमेरिकीयः वदति - ‘तेन संस्थायाः हानिः भवति । तेन देशस्य अर्थस्थितेः हानिः भवति । अतः देशस्य उन्नतिः साधनीया चेत् देशस्थैः सर्वैः कार्यसंस्कृतिविषये अवधानवद्भिः भव…
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कदाचित् कश्चन राजा 'ईश्वरः कुत्र अस्ति' इत्यस्य प्रश्नस्य उत्तरं मासाभ्यन्तरे दातव्यम् इति सभायाम् आदिशति। चिन्ताक्रान्तेन मन्त्रिणा कश्चित् तीक्ष्णमतिः उत्तरं जानन् बालकः प्राप्तः । अनन्तरदिने राजस्थाने बालकः दर्शयति यत् कथं केवलेन दुग्धस्य आलोडनेन नवनीतं न भवति । आदौ क्षीरेण दधि करणीयम्, अनन्तरं दध्नः मथनात् नवनीतं प्राप्यते । तद्वदेव देवविषये अप…
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कश्चित् वणिक् वाणिज्ये महतीं हानिम् अनुभूय भोजराजं प्रचुरं धनं ऋणरूपेण अयाचत "यावच्छक्यम् अस्मिन् जीवनकाले एव प्रत्यर्पयिष्यामि । यत् शिष्टं स्यात् तत् जन्मान्तरे प्रत्यर्पयिष्यामि" इति अवदत् च । गमनावसरे सायङ्काले सम्प्राप्ते कस्यचित् तिलकस्य गृहे न्यवसन्, रात्रौ बलीवर्दयोः सम्भाषणं श्रुतवान् । पशुभाषाभिज्ञः सः ज्ञातवान् यत् तौ द्वौ पूर्वस्मिन् जन…
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कदाचित् ऊर्ध्वपुण्ड्रधारिणः जटाभिः शोभमानाः दशमिताः विरागिसाधवः चिटिकां विना रेल्यानम् आरूढवन्तः । सर्वेSपि साधवः कारागारं प्रति नेयाः इति चिटिकानिरीक्षदलेन आरक्षिणः आदिष्टाः यतः तेषु असाधवः अपि आसन् केचन । आरक्षकनिरीक्षकः सर्वान् साधून् आहूय - 'ये त्रिपुण्ड्रम् अपसारयेयुः, ये कण्ठे धृतां रुद्राक्षमालां भञ्जयेयुः च तान् कारागारतः मोचयिष्यामः' इति व…
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कदाचित् बुद्धस्य कस्यचन शिष्यस्य वस्त्राणि सर्वथा जीर्णानि जातानि इति कारणतः नूतनवस्त्राणि दाप्यतामिति प्रार्थितवान् । तेन नूतनवस्त्राणि लब्धानि च । नूतनवस्त्रधारिणं शिष्यं कांश्चन प्रश्नान् पृच्छति बुद्धः । यथाक्रमम् उत्तरमपि प्राप्य - 'मम तत्त्वानाम् आन्तर्यं सम्यक् एव गृहीतम् अस्ति भवता' इत्युक्त्वा निर्गच्छति । किं तत् प्रश्नोत्तरम् जिज्ञासया क…
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क्या खूब समा था इश्क़ के महीने में - इश्क़ जवां था मौसम के थे नजारे आंखों के थे इशारे बातों में कशिश थी इतनी लहजे में तपिश थी इतनी जिस्म था - आग थी हर छुअन में एक धुआं था हसीना थी कमसिन दीवाना जवां था इश्क़ के महीने में इश्क़ भी जवां था .....ऐसे ही थे एहसास हमारे.....Av Dr. Rajnish Kaushik
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कदाचित् कैश्चित् बालकैः अल्लावुदीनस्य दीपः प्राप्तः । ततः निर्गताय अल्लावुदीनाय द्वितीयतृतीयबालकौ स्वस्वकार्याणि कर्तुं आदिष्टवन्तः । अल्लावुदीनेन चतुर्थे बालके पृष्टे - देशस्य कृते कष्टग्रस्तानां कृते च साहाय्यं करोतु इति उत्तरम् आगतम् । प्रथमः बालकः - मम बुद्धेः उपयोगं करोमि । स्वप्रयत्नेन एव कार्याणि करिष्यामि इत्युक्तवान्। तद्श्रुत्वा द्वितीयतृ…
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ब्रह्मचैतन्यस्य श्रीगोन्दवलेकरमहाराजस्य वचनं कदापि वितथं न भवति इति जनानां विश्वासः आसीत् । एकदा, 'सत्वरं गोन्दवलेग्रामम् आगच्छतम्' इति सन्देशः पुण्यपत्तनस्थौ द्वौ अनुयायिनौ प्रति प्रेषितः । तौ प्रस्थितवन्तौ च । अनन्तरदिने एव 'रैण्डसाहेब' नाम्नः क्रूरकर्मणः आङ्ग्लेयस्य हननं पुण्यपत्तने जातम् । यदि तौ पुण्यपत्तने स्यातां तर्हि ताभ्यां महती विपत्तिः …
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आक्रामकेण बाबरेण नाशितस्य राममन्दिरस्य कथा एषा । कश्चन प्रतापी सम्राट् विक्रमादित्यः कदाचित् रामजन्मभूमिम् अन्वेष्टुं सरयूनदीतटस्य समीपे स्थिते घोरे अरण्ये अन्वेषणं कारितवान् । किन्तु, न प्राप्तम् । विषादेन वृक्षस्य अधः उपविष्टवता राज्ञा प्रयागराजः दृष्टः । प्रयागराजस्य कथनानुगुणं यत्र क्षीरं स्रावन्ती धेनुः दृष्टा तत्र भूमेः खननेन एकं मन्दिरं दृष्…
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जवानी जब से बहकी थी उसी का नाम लेती थी मोहब्बत प्यास है उसकी यही पैगाम देती थी मैं मजनूं था मैं रांझा था वो लैला हीर जैसी थी मेरी चाहत के ज़ज्बो को मेरा ईमान कहती थी मगर अब.... जो समझती थी इशारों को इशारों ही इशारों में भुलाके उन नज़ारो को मेरा अब दिल दुखाती है ना कहती है ना सुनती है बड़ी खामोश रहती है मेरे इश्क़-ए- बहारा में वो तीर-ए-ग़म चलाती है …
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मित्रयोः मध्ये स्नेहः कथं भवेत् इति अनया कथया ज्ञायते । कदाचित् रामश्यामयोः मध्ये कलहे जाते, रामः श्यामं ताडितवान् । तदा श्यामः सिकतासु लिखितवान् - ‘अद्य मम प्रियवयस्यः मां ताडितवान्' इति । अन्यस्मिन् दिने जले निम्मज्जन्तं श्यामं यदा रामः रक्षितवान्, तदा श्यामः शिलाखण्डेन लिखति - ‘अद्य निमज्जन्तं मां मम प्रियवयस्यः रक्षितवान्' इति । किमर्थम् एकवारं…
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कदाचित् सिंहः सिंही च वने भ्रमन्तौ वृषभमेकं दृष्टवन्तौ । सिंहः तं हन्तुम् इच्छन्, गर्वेण सिंह्याः पुरतः स्वस्य अङ्गानां प्रशंसनं कृत्वा हठात् आक्रम्य वृषभस्य कण्ठं त्रोटयित्वा तदीयं मांसम् अखादत् । अनतिदूरे शृगाल्या सह स्थितः कश्चन शृगालः प्रवृत्तं सर्वं दृष्ट्वा स्वस्य शौर्यं प्रदर्शयितुम् यदा उद्युक्तः, तदा वृषभः तं पादेन बलात् प्रहृत्य शृङ्गाभ्य…
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कर्मफलं कर्तारम् उपैतिकर्ममीमांसायां पारङ्गताः दश पण्डिताः यदा ग्रामान्तरं गन्तुं उद्युक्ताः तदा मार्गमध्ये अशनियुक्ता महावृष्टिः आरब्धा । जन्मान्तरे कृतं पापमेव अशनिवृष्ट्यादिपीडायाः कारणं इति विचिन्त्य - 'एकैकः मण्डपात् बहिः गत्वा तिष्ठेत् । यः महापापी स्यात् तस्य उपरि अशनिः पतत्येव' इति तैः निश्चितम् । नवानां जनानां पर्यायः समाप्तश्चेदपि अशनिपात…
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सङ्गः अपि विनाशस्य कारणं भवितुम् अर्हति इति अनया कथया ज्ञायते । आसीत् एकस्मिन् वनप्रदेशे मानसोल्लासः नाम ऋषिः यः सत्यवचनः परमकारुणिकः च । तस्य आश्रमे पशवः सर्वे पारस्परिकं वैरभावं विस्मृत्य मोदेन क्रीडन्ति स्म । गच्छता कालेन तस्य आसुरीप्रवृत्तिः उद्भूता । कथं केनोपायेन च इन्द्रेण एतत् सम्पादितम् इति स्वारस्यकरीं कथां शृण्मः । (“केन्द्रीयसंस्कृतविश्…
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अरिदमननामकस्य कस्यचन राज्ञः पञ्च पत्न्यः आसन् । तासु पञ्चम्यां तस्य अनादरः आसीत्। यतः सा निर्धनकुले जाता इति । कस्मिंश्चित् दिने मरणदण्डनं प्राप्तवान् चोरः एकं दिनं वा सन्तोषम् अनुभूय मरणं प्राप्नोतु इति राज्ञीभिः प्रार्थितम् । तथैव चतस्रः राज्ञ्यः सहस्राधिकं सुवर्णनाणकानि, उत्तमवस्त्राणि, उत्तम्भोजनादिकं चोराय अयच्छन् । किन्तु पञ्चमी राज्ञी सामान्…
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बाल्यादारभ्यः वयं सर्वे विजयनगरसाम्राज्यस्य प्रसिद्धशासकस्य कृष्णदेवरायस्य, तस्य सभायाः सदस्यस्य तेनालिरामस्य च कथां शृण्वन्तः स्म । कदाचित् नगरस्य विहारसमये कञ्चन तक्षकं दृष्ट्वा महाराजस्य मनः खिन्नम् । अपरस्मिन् दिने तमेव तक्षकं दृष्ट्वा महाराजः मुदितः । कथम् एतत् इति पृष्टे तेनालिरामः यत् समाधानं वदति तत् कथां श्रुत्वा जानीयाम । (“केन्द्रीयसंस्क…
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अमेरिकीयः धर्मगुरुः रेवरेण्ड् आवरः, पुणेनगरपरिसरे स्थितान् निर्धननिरक्षरान् क्रिस्तमतीयान् अकरोत् ।अनेन हिन्दुधर्मग्रन्थानाम् अध्ययनम् अकृत्वा, वास्तवं स्वरूपम् अनवगत्य सर्वदा हिन्दुधर्मस्य निन्दा कृता । कश्चन पण्डितः वदति यत् - 'आदौ वास्तवस्वरूपम् अवगन्तुं प्रयासः स्यात्, ततः एव अवगुणाः प्रकाशनीयाः' इति । ततः सः हिन्दुधर्मस्य अध्ययनं कृत्वा संस्कृ…
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मिथिलाधिपति: जनकमहाराज: बहुधा व्यापृतः अपि तस्य गुरो: आश्रमम् आगत्य सश्रद्धम् उपदेशं श्रुत्वा अल्पमपि दर्पम् अप्रदर्शयन् यथाशक्ति गुरो: सेवां करोति स्म । अत: तस्मिन् गुरो: प्रीति: अधिका आसीत् । बहवः शिष्या: एतत् न असहन्त । एतत् जानन् ऋषिः, काञ्चन परीक्षां कृत्वा शिष्येभ्यः दर्शयति यत् किमर्थं महाराजे तस्य प्रीतिः अधिका अस्तीति। का सा परीक्षा इति कथ…
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पूर्वस्मिन् जन्मनि उत्पन्नया प्रतीकारभावनया काचित् गर्भवती नर्तकी अग्रिमजन्मनि राजगृहे हारीतिः नामिका यक्षिणी भूत्वा नगरस्थान् बालान् चोरयित्वा खादनम् आरब्धवती । राजा तस्याः बन्धनं कारयित्वा कारागृहे स्थापितवान् । गौतमबुद्धेन तस्याः पुत्रः अपहरणीयः इति राजभटाः आदिष्टाः । तथा कृते हारीतिः पश्चात्तापं अनुभवन्ती पापात् कथं विमुक्तिः प्राप्तव्या इति प्…
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जीवने महान्तम् आघातं प्राप्तः कश्चन जनः, तस्य मित्रं च वाताटस्य उड्डयनं, सूत्रस्य खण्डनं, ततः वाताटस्य पतनं च दृष्टवन्तौ । विषादेन उपविष्टवन्तं मित्रं, सुहृत् जीवनतत्त्वम् उपदिशति - परिवारसंस्कृतादयः सूत्रम् इव व्यवहरन्तः जीवने स्थिरत्वं समतोलनं च ददाति । तस्मात् तेषां खण्डनं कदापि न करणीयम् । एतत् अनवगच्छन्तः वयं परिवारसंस्कृत्यादिकं विस्मृत्य धनै…
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कश्चित् निर्दयः चोरः कस्मिंश्चित् गृहं प्रविश्य जागरितं बालकं रज्जुभिः बध्नाति । क्षणाभ्यन्तरे बालकः बन्धनात् आत्मानम् अमोचयत् । कीदृशः चोरः भवान् यः दृढं बन्धुम् अपि न शक्नोति, कथं बन्धनं करणीयमिति दर्शयिष्यामि इति वदन् बालकः चोरस्य पादौ हस्तौ ग्रीवां च बध्नाति । ग्रन्थीनां शिथीलीकरणे चोरः न शक्तः । रज्जुभिः बन्धनं कर्मभिः बन्धनमिव । कर्मणां बन्धन…
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चतुरस्य कस्यचित् बालकस्य आलस्यकारणात् धनविद्यादीर्घायुष्यादीनि हस्तच्युतानि जातानि । कथं, कुत्र, किमर्थमिति ज्ञायते अनया कथया । तद्दिनस्य कार्याणि तद्दिने एव करणीयानि । श्वः अग्रे वा करिष्यामि इति चिन्तनमेव अनर्थस्य कारणम् इति अनया कथया ज्ञायते। (“केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य अष्टादशीयोजनान्तर्गततया एतासां कथानां ध्वनिप्रक्षेपणं क्रियते”) A cle…
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प्रतिदिनं कस्यचित् महात्मनः प्रवचनं बहुभ्यः वर्षेभ्यः श्रुण्वन् कश्चित् सज्जनः पुत्रेण हठात् मरणे प्राप्ते प्रवचनकाले न दृष्टः । महान्तं विषादम् अनुभवन् सः महात्मा यदा ग्रन्थपरिशीलने मग्नः आसीत्, तदा सः सज्जनः महात्मनः गृहमागतवान् । किमपि अजानन् इव व्यवहरन् महात्मा अनागमस्य कारणं पृच्छति । सज्जनः वदति - 'अतिथेः सम्प्रेषणव्यवस्थायां व्यग्रः आसम्' इत…
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वस्तूनां क्रयणाय नगरं गच्छद्भ्यां धान्यवणिक्-चर्मवणिग्भ्यां मध्येमार्गं श्रमनिवारणाय यः आश्रमः प्रविष्टः तत्रत्यः संन्यासी धान्यवणिजे कुटीरस्य अन्तः, चर्मवणिजे बहिः च भोजनं दत्तवान् । प्रत्यागमनावसरे संन्यासी चर्मवणिजे अन्तः, धान्यवणिजे बहिः च भोजनं परिवेषितवान् । किमर्थम् एतादृशः व्यवहारः इति पृष्टे संन्यासी अवदत् - अन्तरङ्गस्वरूपभेदः एव सत्कारभेद…
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ये उन दिनों की बात है जब इश्क़ में पड़ना अच्छा हुआ करता था ... इश्क़ भी सच्चा हुआ करता था ...l उन दिनों breakup नहीं हुआ करते थे...हाथ और साथ छूट जाने के बाद उम्र भर चाहने के ...यानि अंतिम साँस तक चाहते निभाने के ...और कहीं कहीं तो आखिरी दम तक इंतजार के वादे हुआ करते थे.... 90's A - LOVE STORY Step into the mesmerizing world of the 90s, a time when…
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कश्चन राजा स्वेन सम्पादितम् अपारम् ऐश्वर्यम् अतिथिभ्यः साभिमानं दर्शयति स्म । तं प्रति आगतवन्तं संन्यासिनं सम्पत्तिं दर्शयितुं यं दीपं राजा गृहीतवान् आसीत्, तं हठात् मुखवायुना संन्यासी निर्वापितवान् । तेन अन्धकारः प्रसृतः । अनन्तरं संन्यासी राजानं अबोधयत् - दीपप्रकाशस्य अभावे तु मौक्तिकादीनां महामूल्यता नास्ति । यथा दीपप्रकाशः तथा भवति आत्मविकासः ग…
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स्वप्ने आगतायाः देव्याः वचनानुसारं मन्दिरनिर्माणकार्यम् आरब्धवान् कश्चित् धनिकः । देव्याः अनुग्रहेण प्राप्तः कश्चन उत्कृष्टः शिल्पी, श्रद्धया भक्त्या च यत् मूर्तिनिर्माणं कृतवान्, तस्याः मूर्तेः मुखे लघु कलङ्कः जातः इति कारणतः पुनः तेन अन्या मूर्तिः निर्मिता । सूक्ष्मदर्शानात् अपि कोSपि कलङ्कः न दृश्यते, किमर्थं नूतना मूर्तिः निर्मिता इति धनिकेन पृ…
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पूर्वं सुमात्राद्वीपे वृद्धः तपस्वी कश्चन गुहायामेव तपः आचरन् ग्रामतः आगतानां कृषिकाणां मार्गदर्शनं करोति स्म । अन्ये असूयपराः तपस्विनः एकदा यदा वृद्धं तपस्विनं मारयितुं प्रयतन्ते, तदा कश्चन महान् सर्पः आकाशात् पतित्वा रक्षति । अपरक्षणॆ प्रसारितफणातः उद्भूताभिः शाखाभिः कश्चन वृक्षः प्रत्यक्षः भवति । पश्चात्तापम् अनुभवन्तः तपस्विनः - अस्मासु कश्चित्…
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अनुपमसुन्दरी सद्गुणसम्पन्ना विद्यावती च भरद्वाजमहर्षेः पुत्री श्रुतावती, इन्द्रमेव वरितुम् इष्ट्वा तं पूजयति स्म। एकदा इन्द्रः तां परीक्षितुं विशिष्ठवेषेण आगत्य कानिचन बदरफलानि पक्वीकृत्य दीयतामिति उक्तवान्। चुल्ल्यां बहुधा काष्ठानि योजितानि चेदपि बदरफलानि तु पक्वानि न अभवन् । परीक्षार्थमेव इदम् इति विचिन्त्य स्वस्य पादौ चुल्ल्यां स्थापितवती श्रुता…
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विकृतवर्मा नाम कश्चन राजा स्वविषये प्रजामतं ज्ञातुम् इच्छन् वेषान्तरं धृत्वा देशपर्यटनं कृतवान् । तदा सर्वत्रापि तस्य विषये असमाधानम् अस्ति इति तेन ज्ञातम्। तेन कुपितः राजा राज्ये विद्यमानानां सर्वेषां मरणदण्डनं घोषितवान् ।अत्रान्तरे आगतः कश्चन संन्यासी - राज्ये जनेषु सुखेन असत्सु कथं महाराजत्वेन तिष्ठति भवान् इति उपदिशति । ततः स्वदोषं जानन् महाराज…
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बुन्देलखण्डस्य शासकः अनिरुद्धसिंहः एकदा रणरङ्गतः पलायितः । तदा तस्य भगिनी सारन्धा कोपेन एतादृशेन व्यवाहारेण कुलस्य गौरवं नाशितम्, पलाय्य उचितं कार्यं न कृतं च इति वदति । तस्मात् जागरितः अनिरुद्धः मासत्रयं यावत् युद्धं कृत्वा विजयं प्राप्य प्रत्यागच्छति । तस्य स्वागताय ससन्तोषेण भगिनी सारन्धा पत्नी शीतलादेवी च सज्जा अभवताम् । (“केन्द्रीयसंस्कृतविश्व…
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जीवनं नाम किम् इति जिज्ञासुः कश्चन जनः सर्वत्र परिभ्रमन् अरण्यं प्रविष्टवान् । तत्र जीवनविषये पृष्टे सति शुकः, शशः, हरिणः, नदी, वृक्षः, बीजः, उलूकः च स्वाभिप्रायम् प्रकटयन्ति । अनन्तरं तेन कश्चन संन्यासी दृष्टः । ततः ज्ञातवान् यत् केवलम् अन्वेषणेन जीवनं यापयितुम् अवसरः न प्राप्यते । आदौ उत्तमं जीवनं करणीयम् । सदाचरणमेव जीवनम् इति । (“केन्द्रीयसंस्क…
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ये छेड़छाड़...ये आवारगी...और ये दास्तान-ए-मोहब्बत....... उस रोज़-उस रात की तन्हाई की है दोस्तों...... जब हम भी मूड में थे और वो भी... A story of carefree love, mischievous glances, and the timeless rhythm of hearts… It’s about that night—when silence spoke louder than words, And both of us were caught in the sweet trap of the moment. Because, somet…
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काचन निर्धना माता पुत्रजननसमये धात्रै दत्तं वाक्यं पालयितुम्, पञ्चवर्षाणि पश्चात् सर्वमपि धनं यत् पुत्रेण प्राप्तं तत् सर्वं धात्रै अर्पयति। निर्धनमहिलायाः वचनपरिपालकतां निर्लोलुपतां च दृष्ट्वा सा धात्री तेन धनेन एकं कासारं निर्मितवती । अयं कासारः अद्यापि दरभङ्गानगरे 'धात्रीकासार' नाम्ना ख्यातः । सः बालकः भाविनि काले 'शङ्करमिश्र' नाम्ना ख्यातः, न्य…
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शान्तियुतं जीवनं कर्तुम् इच्छन् राजा शान्तियुतजीवनस्य मार्गं ज्ञात्वा आगच्छन्तु इति भटान् प्रेषयति । कञ्चन तेजस्विनं सन्यासिनं दृष्ट्वा अपेक्षायाम् उक्तायां 'शान्तिमार्गः अन्तरङ्गे भवति' इति संन्यासी वदति । परन्तु राजा स्वयमेव आगत्य विनयेन वचनस्य तात्पर्यं पृच्छति । तदा शान्तिमार्गस्य अन्वेषणम्, अन्तरङ्शोधनस्य सोपानानि इत्यादीनि विस्तरेण विवृणोति स…
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कदाचित् बौद्धविहारे भगवता बुद्धेन ज्ञातं यत् शिष्याः सर्वदा ध्यानमग्नाः सन्तः ज्वरग्रस्तं शिष्यम् उपेक्षितवन्तः इति ।तदा तान् सर्वान् आहूय - केवलं ध्यानमार्गेण गमनेन न प्रयोजनम्, दीनसेवादिभ्यः एव मार्गस्य शुद्धिः भवति, मार्गस्य अनुसरणं यावत् मुख्यं भवति, मार्गस्य शुद्धता अपि तावती एव मुख्या इति बोधयति । (“केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य अष्टादशीयो…
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कस्मिंश्चित् ग्रामे कश्चन वणिक् धनिकात् स्वीकृतम् ऋणं प्रत्यर्पयितुम् अशक्तः अभवत् । सः धनिकः वृद्धः क्रूरः च वणिक्कन्यां वञ्चनया परिणेतुम् इच्छति । परन्तु, सा दक्षा कन्या उपायेन व्यवहृत्य अपायं निवार्य, पितरम् अपि ऋणात् कथं रक्षितवती इति अनया कथया जानीमः । अतः विवेकः एव सर्वत्र जयति । (“केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य अष्टादशीयोजनान्तर्गततया एतास…
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केनचित् कृषिकेन कश्चन सज्जनः चक्रावाततः रक्षितः । प्राणापायमपि अविगणय्य रक्षणरूपम् उपकारं कृतवतः कृषिकस्य परोपकारस्वभावं दृष्ट्वा सः सज्जनः पारितोषिकं दातुम् इच्छति । 'अपाये स्थितवतः रक्षणं मानवधर्मः । तत् कर्तव्यबुद्ध्या मया कृतं, न तु पारितोषिकेच्छया' इति उक्त्वा पारितोषिकं निराकरोति सः कृषकः । एतादृशानां जनानां कारणात् एव लोके वृष्ट्यादयः भवन्ति…
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एकदा धारायाः अधिपतेः भोजस्य सभायां दूरदेशात् कश्चन पण्डितः आगत्य एकां समस्यां प्रस्तुतवान् । किन्तु पण्डितेषु श्रेष्ठः वाग्विभूषणः अपि उत्तरं दातुं न शक्तवान् । अतिथिपण्डितेन सप्ताहं यावत् समयः दत्तः । तावता श्रेष्ठः पण्डितः वाग्विभूषणः समस्यायाः परिहारं स्वयमेव अन्विषति उत अन्येन उत्तरं प्राप्यते ? कः सः प्रश्नः? तस्य उत्तरं किं भवितुम् अर्हति? इत…
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कस्यचित् राज्ञः समीपे केनचित् तपस्विना दत्तः कश्चन विशिष्टः खड्गः असीत् येन सः सर्वेषु अपि युद्धेषु जयं लभते स्म । कदाचित् कश्चन असूयापरः राक्षसः निद्रासमये तं खड्गं चोरयित्वा राजानं कारागृहे स्थापयति । स्वप्ने काचित् देवी द्विवारम् आगत्य वरं ददाति येन आगामिषु दिनेषु सः पुनरपि राज्यं प्राप्नोति । तदा देवी प्रत्यक्षीभूय – 'इतः परं खड्गः युद्धाय न, अ…
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सङ्गीतक्षेत्रे करीमखानवर्यः सुविख्यातः । एकलव्यः इव कश्चन युवकः करीमखानवर्यस्य ध्वनिमुद्रिकां श्रावं श्रावं सङ्गीताभ्यासं करोति स्म । अग्रे करीमखानवर्येण मिलित्वा, 'सम्यक् अभ्यासं कृत्वा प्रगतिं ख्यातिं च प्राप्नुहि' इति आशीर्वादं प्राप्तवान् । सः एव कुन्दनलालसेहगलवर्यः यः भाविनि काले चलनचित्रगायकत्वेन चित्रनटत्वेन च ख्यातः अभवत् । (“केन्द्रीयसंस्क…
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१८८५ तमे वर्षे नेल्सन् नाम्नः कश्चन निवृत्तः सेनाधिकारी यदा वायुविहारार्थं गतवान् तदा समुत्पन्नेन चक्रवातेन तस्य शिरस्त्रं वायुना नीतम् । चक्रवातबाधाम् उपेक्ष्य शिरस्त्रम् आनीय दत्तवत्यै पुष्पानामिकायै बालिकायै सः सेनाधिकारी कृतज्ञतां समर्प्य, तस्याः‌ नामसङ्केतादिकं स्वीये लघुपुस्तके लिखित्वा ततः निर्गतः। अनन्तरं यदा पुष्पायाः पतिः प्लेग्रोगेण ग्रस…
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ताराचन्द-वख्तमलनामानौ गुरुहरिगोविन्दशिष्यौ गुरवे अश्वौ उपायनीकर्तुं स्वस्थानात् यदा प्रस्थितवन्तौ तदा मध्यमार्गे यवनराजः शाहजहानः अश्वौ वशीकृत्य तौ शिष्यौ ताडयित्वा च प्रेषितवान् । प्रवृत्तं सर्वं विदित्वा अन्यः कश्चन शिष्यः विधिचन्दः अश्वौ आनेतुं प्रतिज्ञाम् अकरोत् । शूरः उपायचतुरः च सः विधिचन्दः केनोपायेन अश्वौ अपहृत्य गुरोः हरिगोविन्दवर्यस्य पुर…
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परीक्षायाम् अधिकान् अङ्कान् प्राप्तवतः सत्काराय कार्यक्रमः आयोजितः आसीत् कस्मिंश्चित् सर्वकारीये विद्यालये । मुख्यातिथिः पारितोषिकं यच्छन् कांश्चन प्रश्नान् पृष्टवान् । किन्तु एकस्यापि प्रश्नस्य उत्तरं दातुम् असमर्थः बालकः कारणे पृष्टे, केवलं कण्ठस्थीकृत्य उत्तरं लिखामि इति उक्तवान् । तत्रैव स्थितः अन्यः बालकः सर्वेषां प्रश्नानाम् उत्तरं ददाति । तत…
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