ब्रह्म-ज्ञान (Brahm-Gyaan)
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इस कविता में आत्मा के अजर अमर स्वरुप का वर्णन कर उसका अंतिम लक्ष्य ब्रह्म प्राप्ति बता कर उसके तीन अलग अलग मार्गों की परिचर्चा की गयी है। यही जीवन का सबसे बड़ा रहस्य है और यही सबसे बड़ा ज्ञान है। इसीलिए इसे ब्रह्मज्ञान भी कहा गया है
आओ चलो एक गहरा राज तुम सबको बतलाता हूँ।
जीवन का ये सत्य शाश्वत आज तुम्हें समझाता हूँ।
पञ्च तत्व से बनी ये काया तन अपना ये नश्वर है।
तो क्यूँ इससे मोह करें जब क्षणभंगुर ये नाता है।
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