Maut Ik Geet Raat Gaati Thi | Firaq Gorakhpuri
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मौत इक गीत रात गाती थी
ज़िन्दगी झूम झूम जाती थी
ज़िक्र था रंग-ओ-बू का और दिल में
तेरी तस्वीर उतरती जाती थी
वो तिरा ग़म हो या ग़म-ए-आफ़ाक़
शम्मअ सी दिल में झिलमिलाती थी
ज़िन्दगी को रह-ए-मोहब्बत में
मौत ख़ुद रौशनी दिखाती थी
जल्वा-गर हो रहा था कोई उधर
धूप इधर फीकी पड़ती जाती थी
ज़िन्दगी ख़ुद को राह-ए-हस्ती में
कारवाँ कारवाँ छुपाती थी
हमा-तन-गोशा ज़िन्दगी थी फ़िराक़
मौत धीमे सुरों में गाती थी
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